श्वसन तंत्र श्वसन सजीव पोषक तत्वों जैसे ग्लूकोस को तोड़ने के लिए ऑक्सीजन का प्रमुख रूप से उपयोग करते हैं जिससे विभिन्न क्रियाओं को संपादित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है उपरोक्त उपापचय क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड भी मुक्त होती है जो हानिकारक है। इसलिए यह आवश्यक है कि कोशिकाओं को लगातार ऑक्सीजन की उपलब्ध कराई जाए और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर मुक्त किया जाए वायुमंडलीय ऑक्सीजन और कोशिकाओं में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड के आदान प्रदान की इस प्रक्रिया को सामान्यतया श्वसन कहते है।
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Showing posts from April, 2020
Sindhu valley civilization features,सिंधु घाटी सभ्यता की महत्वपूर्ण तथ्य
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सिंधु घाटी सभ्यता Sindhu valley civilization features सिंधु घाटी सभ्यता की महत्वपूर्ण तथ्य लोथल की खुदाई एसआर राव ने की थी। लोथल भोगवा नदी के तट पर स्थित है। लोथल से युगल शवधान प्राप्त हुआ है जिसमें सिर पूर्व तथा पर पश्चिम की तरफ लिटाया गए हैं। लोथल से गोदी के अवशेष मिले हैं। लोथल एवं रंगपुर से चावल के अवशेष एवं छिलकों के साथ बर्तनों से मिले हैं। सुरकोटदा से घोड़े की हड्डियां मिली हैं। रंगपुर और रोजड़ी से हड़प्पा संस्कृति की उत्तर अवस्था के दर्शन होते हैं।
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सिंधु घाटी सभ्यता Sindhu valley civilization features सिंधु घाटी सभ्यता की महत्वपूर्ण तथ्य हड़प्पा में एक शव के सिर को दक्षिण की ओर रखकर दफनाया गया है। हड़प्पा से ही एक कब्रिस्तान एच( H) तथा R-37 मिला है। मोहनजोदड़ो की खुदाई 1922 में राखल दास बनर्जी के नेतृत्व में हुई। मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के तट पर लरकाना जिले में है मोहनजोदड़ो से सूती व ऊनी वस्त्र के साक्ष्य मिले हैं। पशुपति शिव तथा पुजारी का सिर मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुआ है। विशाल स्नानागार जिसका आकार 11.8 8 ×7.01 × 2.43 मीटर है। विशाल अन्ना नगर जिसका आकार 45.1 × 15.23 मीटर है। मोहनजोदड़ो से सात परते मिली हैं जिन से ज्ञात होता है कि यह नगर सात बार बसाया गया होगा। मोहनजोदड़ो को सिंध का नखलिस्तान या सिंध का बाग कहते हैं।
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सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यतासे जूते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं। कालीबंगा से अग्निकुंड या हवन कुंड के साक्ष्य मिले हैं। लकड़ी की नाली भी कालीबंगा से प्राप्त हुई है। कालीबंगा की खुदाई बीवी लाल ने की। कालीबंगा गंगा नदी के तट पर बसा है। हड़प्पा से एक दर्पण प्राप्त हुआ है जो तांबे का बना हुआ है। हड़प्पा से काशी की बनी एक नर्तकी की मूर्ति प्राप्त हुई है। हड़प्पा से तांबे की बनी हुई है इक्का गाड़ी प्राप्त हुई है। हड़प्पा की खुदाई 1921 में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हुई। हड़प्पा रावी नदी के तट पर स्थित है।
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सिंधु घाटी सभ्यता सर्वप्रथम कपास उगाने का शरीर सिंधु सभ्यता के लोगों को है। हड़प्पा सभ्यता मुक्ता कांस्य युगीन सभ्यता थी। यहां के मृदभांड लाल व काले रंग के हैं। हड़प्पा नामक पूरा स्थल से ज्ञात होने के कारण हड़प्पा सभ्यता कहते हैं। सिंधु सभ्यता त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी। इसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर था। सर्वप्रथम 1826 इस्वी में चार्ल्स मेसन ने हड़प्पा नामक स्थल से प्राप्त विशाल टीले के विषय में उल्लेख किया। इतिहासकारों ने हड़प्पा को सिंधु सभ्यता की प्रथम राजधानी माना है। कालीबंगा के उत्खनन में निचली सतह से पूर्व सिंधु सभ्यता और ऊपरी सतह से सिंधु सभ्यता के अवशेष मिले हैं। कालीबंगा से प्राप्त फर्श में अलंकृत ईटों का प्रयोग किया गया है। कालीबंगा से काली मिट्टी की चूड़ियां मिली है।
इतिहास (सिंधु घाटी सभ्यता)
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इतिहास (सिंधु घाटी सभ्यता) सिंधु वासियों की लिपि में लगभग 400 वर्ण हैं लिपि की लिखावट दाएं से बाएं और मानी गई है। पिगट महोदय ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानियां बताया है। सिंधु वासी दशमलव प्रणाली पर आधारित बांटो का प्रयोग करते थे। अधिकांश बाट 16 या उसके गुणज भार के हैं। जैसे 16,32,64,160 इत्यादि। संभवत सिंधु घाटी के लोगों ने सर्वप्रथम चांदी का इस्तेमाल किया था। नदी व वर्षा के जल से सिंधु वासी सिंचाई करते थे। हड़प्पा के टीलों की तरफ सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने 1826 में ध्यान आकर्षित किया। हड़प्पा की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि व पशुपालन पर आधारित थी हड़प्पा में आंतरिक व बाह्य व्यापार भी होता था। सिंधु वासियों का मुख्य खाद्यान्न गेहूं व जौ था।
इतिहास (सिंधु घाटी सभ्यता)
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इतिहास (सिंधु घाटी सभ्यता) सिंधु वासियों ने सर्वप्रथम कपास की खेती की थी अधिकांश मोहरे सेलखड़ी की बनी हुई हैं सिंधु सभ्यता के निर्माता भूमध्यसागरीय (द्रविड़) थे। सिंधु वासी पशु महादेव की पूजा करते थे। सिंधु कालीन मिट्टी से निर्मित सड़कों की चौड़ाई 30 फुट से 35 फुट तक हुआ करती थी। सिंधु कालीन गलियां प्राय: 3 फुट चौड़ी हुआ करती थी। सिंधु वासी राजस्थान स्थित खेतड़ी की खानों से तांबा प्राप्त करते थे। सिंधु सभ्यता के निवासी लौह धातु से अनजान थे। सिंधु सभ्यता की सभी सड़कें मिट्टी से बनी हुई थी। सिंधु वासियों की लिपि चित्र प्रधान लिपि थी।
इतिहास (पुरापाषाण काल)
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इतिहास (पुरापाषाण काल) पुरापाषाण काल के उपकरणों में सर्वप्रथम रॉबर्ट ब्रूस फुट ने 1863 में मद्रास के पास पल्लवरम नामक स्थान से हैंड एक्स उपकरण प्राप्त किया। मध्य पाषाण काल में भीमबेटका की गुफाओं में भारत में गुफा चित्रकारी के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं। मध्य पाषाण काल में मध्य प्रदेश के आजमगढ़ और राजस्थान में बागोर पशु पालन का प्राचीनतम साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। मध्य पाषाण काल में महादहा से हड्डी के आभूषण व स्त्री पुरुष की युगल समाधि मिली है। महदहा उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है। मध्य पाषाण काल में भारत में मानव अस्थि पंजर का पहला वशिष्ठ प्रतापगढ़ के सराय नाहर राय व महदाहा स्थान से प्राप्त हुआ है। भारत में नव पाषाण काल के स्थल की प्रथम खोज लेमेसुरियर ने टोंस नदी घाटी में 1860 ईसवी में की। नवपाषाण युगीन प्राचीन बस्ती मेहरगढ़ पाकिस्तान में स्थित है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना अलेक्जेंडर कनिंघम के नेतृत्व में 1861 ईस में की गई।