सोनभद्र(sonbhadra), सोने की खान

सोनभद्र
सोनभद्र या सोनभद्र उत्तर प्रदेश, भारत के क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा जिला है।  प्राचीन समय से भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता है इसका कारण है कि भारत कई जगहों पर सोने की खान की असीमित भंडार होना माना  जाता है सोनभद्र  जिले की सोन पहाड़ियों में सोने की भंडार मिलने से इस जगह का नाम सोन नाम से प्राचीन समय से जाना जाता है इस के आस पास के इलाके को सोनांचल क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है भारत का एकमात्र जिला है जो पश्चिम में चार राज्यों अर्थात् दक्षिण में छत्तीसगढ़, दक्षिण पूर्व में झारखंड और उत्तर-पूर्व में बिहार की सीमा में आता है।  जिले का क्षेत्रफल 6788 वर्ग किमी और 1,862,559 (2011 की जनगणना) की आबादी है, जिसकी जनसंख्या घनत्व 270 व्यक्ति प्रति किमी² है। यह राज्य के दक्षिण-पूर्व में स्थित है और मिर्जापुर जिले से उत्तर-पश्चिम, चंदौली जिले तक घिरा हुआ है।  उत्तर में, बिहार राज्य के कैमूरंद रोहतास जिले, उत्तर पूर्व में झारखंड राज्य का गढ़वा जिला, दक्षिण में छत्तीसगढ़ राज्य का बलरामपुर जिला और पश्चिम में मध्य प्रदेश राज्य का सिंगरौली जिला है।  जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज शहर में है।  सोनभद्र जिला एक औद्योगिक क्षेत्र है और इसमें बहुत सारे खनिज जैसे बॉक्साइट, चूना पत्थर, कोयला, सोना आदि हैं। सोनभद्र को "भारत की ऊर्जा राजधानी" कहा जाता है क्योंकि वहाँ बहुत सारे बिजली संयंत्र हैं। सोनभद्र विंध्य और कैमूर पहाड़ियों पर स्थित है।  , और इसके टोपोलॉजी और प्राकृतिक वातावरण ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू ने सोनभद्र को भारत का स्विट्जरलैंड कहा।
इस क्षेत्र में सोने की खान का पता अग्रेज के समय से ही लगाया जा रहा था परंतु इस पर मुहर लगते लगते एक लंबा समय बीत चुका है अब जाकर इस क्षेत्र में सोने की खान का पुख्ता सबूत मिलने से और कई तरह के जांच के बाद अब इस क्षेत्र को अधिग्रहण करने तथा खान कि खुदाई के कार्य को सरकार तीव्र गति से इस पर कार्य किया जा रहा है।

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